नफ़रत है किसी को मुझसे,कोई ऐतबार कर रहा है किसी को सूरत पसंद नहीं है,कोई दीदार कर रहा है दर्द का भी तुम देखो होता है हिसाब अपना कभी जीने के लिए है जरूरी,कभी बीमार कर रहा है मिला तो हमें बहुत है गिनते हम कहाँ है पुराना जख़्म भर गया है,नया इंतज़ार कर रहा है किस कदर है इश्क तुमसे,इस कदर है तलब तुम्हारी छूट जाऊँ मैं अब ख़ुद से,जुड़ जाए रूह अब हमारी उन्होनें ख़ैरियत नहीं है पूछी मगर उन्हें हमारी हर ख़बर है हमसे वो बेख़बर नहीं हैं,हम पर उनकी नज़र है समझते हैं वो मजबूरी,कुछ काम हैं जरूरी हल्की आग सुलग रही है,धुआँ बेशुमार उठ रहा है... © trehan abhishek #नफ़रत #ऐतबार #आग #धुआँ #yqaestheticthoughts #yqrestzone #yqdidi #manawoawaratha