घर का हर कोना पूछ रहा है,क्यू तू घर में ही रहने से डर रहा है, तुझे सालो से जानता हूं मै,तेरी हर नब्ज पहचानता हूं मै, तेरी बचपन की किलकारियां गूंजी है यहां,तेरी सारी शैतानियों से वाकिफ हूं मै, मेरे सीने में बेहूदा चित्रकारियां करी है तूने,मेरे पैरों से लटककर झूला झुला है तू, मैंने ही तुझे गिरकर चलना शिखाया है,कितनी बार तुझे सीने से लगाकर सुलाया है, धूप को तेरे पास तक ना आने दिया,सर्द हवाओं से तुझे मैंने ही तो बचाया है, फिर क्यूं तू मुझसे बाहर निकलना चाहता है,क्या मैंने तेरा कभी दिल दुखाया है, घर का हर कोना पूछ रहा है,क्यू तू घर में ही रहने से डर रहा है।। -shubh sandesh घर का हर कोना पूछ रहा है,क्यू तू घर में ही रहने से डर रहा है, तुझे सालो से जानता हूं मै,तेरी हर नब्ज पहचानता हूं मै, तेरी बचपन की किलकारियां गूंजी है यहां,तेरी सारी शैतानियों से वाकिफ हूं मै, मेरे सीने में बेहूदा चित्रकारियां करी है तूने,मेरे पैरों से लटककर झूला झुला है तू, मैंने ही तुझे गिरकर चलना शिखाया है,कितनी बार तुझे सीने से लगाकर सुलाया है, धूप को तेरे पास तक ना आने दिया,सर्द हवाओं से तुझे मैंने ही तो बचाया है, फिर क्यूं तू मुझसे बाहर निकलना चाहता है,क्या मैंने तेरा कभी दिल दुखाया है, घर का हर कोना पूछ रहा है,क्यू तू घर में ही रहने से डर रहा है।।