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अकेला सख्श काफी था मुझे बेहतर समझने को, जमाना हा

अकेला सख्श काफी था मुझे बेहतर समझने को,


जमाना हार  बैठा है मुझे बेहतर समझने में।

निखिल की कलम से। man me utha hua tatkaleen bhav
अकेला सख्श काफी था मुझे बेहतर समझने को,


जमाना हार  बैठा है मुझे बेहतर समझने में।

निखिल की कलम से। man me utha hua tatkaleen bhav
nikhilkumar6445

Nikhil Kumar

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