नींव टूट जाती है और खड़ा हुआ घर है। काश तुम समझ सकते क्या रूतों के तेवर है! लब की मुस्कुराहट तो बस फरेब है प्यारे। जाने कितने ही सदमें देख मेरे अंदर है। किस तरह से समझाऊं मैं तुझे मेरी हस्ती अपना जिसको कहती है वो किराए का घर है!