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भाव रहित हो गया हैं जीवन, तिथियों का गुलाम हो गया

भाव रहित हो गया हैं जीवन,
 तिथियों का गुलाम हो गया हैं जीवन 
मासूम से चहरो के पीछे ,दबा हुआ हैं ग्रहों का चक्कर 
जाते थे मंदिरो कभी ,जब भाव जज्बाती हो जाते थे 
अब ऊँच नीच के चक्कर में ,सिमट के रह गई हैं भक्ति 
सुर्य चंद्र गुरु मंगल ,खेलते हैं बच्चों का बचपन 
माँ बनने की ख़ुशी की जगह, तिथि  तारिखो ने लेली
माँ का बनना-माँ का बनना ,ये अस्तिव कहीं खो सा गया 
नारी के चेहरे पर बस ,ग्रहों का गरुर रह गया 
काश -काश 
तारीखे होती गुलाम माँ कि 
और - और 
उसका आना होता गरुर हमारा
भाव रहित हो गया हैं जीवन,
 तिथियों का गुलाम हो गया हैं जीवन 
मासूम से चहरो के पीछे ,दबा हुआ हैं ग्रहों का चक्कर 
जाते थे मंदिरो कभी ,जब भाव जज्बाती हो जाते थे 
अब ऊँच नीच के चक्कर में ,सिमट के रह गई हैं भक्ति 
सुर्य चंद्र गुरु मंगल ,खेलते हैं बच्चों का बचपन 
माँ बनने की ख़ुशी की जगह, तिथि  तारिखो ने लेली
माँ का बनना-माँ का बनना ,ये अस्तिव कहीं खो सा गया 
नारी के चेहरे पर बस ,ग्रहों का गरुर रह गया 
काश -काश 
तारीखे होती गुलाम माँ कि 
और - और 
उसका आना होता गरुर हमारा
nojotouser1717634211

नीर

Bronze Star
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