लाय गजानन जो मनभावन सूरत ऐसि लुभावन वारी। मंगल गीत कि थाप बजै संगि नाचि रहे मिलिकै नर नारी। साज सजावट रोज़ चलै, नित दीप जलै, संगि फूल सुपारी। साफ रहे मन, शीश झुके जन, पाय रहे फल मंगलकारी। - संजीव निगम "अनाम" #GaneshChaturthi #गणेश #चतुर्थी