Nojoto: Largest Storytelling Platform

न्यायतंत्र और प्रशासन की पोल तो इसी बात से खुल जात

न्यायतंत्र और प्रशासन की पोल तो इसी बात से खुल जाती है कि-लोग आज़ादी के इतने सालों बाद भी बहन बेटी का कोर्ट कचहरी या थाने जाना शर्म की बात समझा जाता हैं।गाँव देहात का पुरुष वर्ग भी अधिकारियों पर भरोसा नहीं करता।भारतीय समाज ने कभी इस तंत्र को स्वीकार नहीं किया।वे गाँव की पंचायतों को आज भी अदालतों से अधिक भरोसेमंद और सुरक्षित मानते हैं।इसका एकमात्र कारण तंत्र का बेईमान होना है।हम समाज को बहुत कम ईमानदार और कर्मनिष्ठ सेवक दे पाए हैं।हमारी शिक्षा ने कर्मचारियों को धन इकट्ठा करने का जुगाड़ लगाने वाला बनाया है।वे हर हाल में बस कुछ ले-दे कर मामला निपटाने के तरीके ढूंढते हैं।जब कुछ मिलने की उम्मीद नहीं होती तो 'मामला' तंत्र को सौंप दिया जाता है।तंत्र भी विक्टिम से पैसे निचोड़ने का काम करता है। #पाठकपुराण #yqdidi #yqhindi #न्याय #राजतंत्र #अदालत #अधिकारी
न्यायतंत्र और प्रशासन की पोल तो इसी बात से खुल जाती है कि-लोग आज़ादी के इतने सालों बाद भी बहन बेटी का कोर्ट कचहरी या थाने जाना शर्म की बात समझा जाता हैं।गाँव देहात का पुरुष वर्ग भी अधिकारियों पर भरोसा नहीं करता।भारतीय समाज ने कभी इस तंत्र को स्वीकार नहीं किया।वे गाँव की पंचायतों को आज भी अदालतों से अधिक भरोसेमंद और सुरक्षित मानते हैं।इसका एकमात्र कारण तंत्र का बेईमान होना है।हम समाज को बहुत कम ईमानदार और कर्मनिष्ठ सेवक दे पाए हैं।हमारी शिक्षा ने कर्मचारियों को धन इकट्ठा करने का जुगाड़ लगाने वाला बनाया है।वे हर हाल में बस कुछ ले-दे कर मामला निपटाने के तरीके ढूंढते हैं।जब कुछ मिलने की उम्मीद नहीं होती तो 'मामला' तंत्र को सौंप दिया जाता है।तंत्र भी विक्टिम से पैसे निचोड़ने का काम करता है। #पाठकपुराण #yqdidi #yqhindi #न्याय #राजतंत्र #अदालत #अधिकारी