याद आती रही जान जाती रही मैं चुप कराता रहा वो रूलाती रही ले के सारे गम मैं अपने सिर मैं मनाता रहा वो सिर हिलाती रही मैं रोया बहुत सब उसको बताकर वो ख़ामोशी से सब कुछ सुनाती रही मैंने चाहा मैं उसको छू कर तो देखूं तो वो हाथों को बालों में फिराती रही मैंने पूछा ये सब जरूरी है क्या वो फोन में देख मुस्कुराती रही मैं आख़िरी बार फिर घुटनों पे बैठा वो उठा कर बैग अपना जाती रही बिता समां वो आज फिर से मिली मैं हंस के मिला वो आंसू छिपाती रही मैंने पूछा शहर में क्या चल रहा है वो झुका कर नजरें अपना हाल सुनाती रही मैंने पूछा कि किस बात का गम है देख कांधे को मेरे आंसू बहाते रही मुझे पापा कह कर बुलाया किसी ने और वो गलती पे अपनी पछताती रही याद आती रही जान जाती रही... ©Raahi Gazal #hindigazal #gazal #Hindi #Nojoto #raahikishayri #Rose