माँ तुझसे जुदा होकर सुकून वाली नींद कहा आती है लेट होता हूं हर रोज तो तेरी याद बहुत सताती है खाना खाने बैठ जाऊ तो तेरी याद बहोत आती है तेरे हाथ वाली घी की रोटी मुझे बहोत सताती है माँ शर्ट की टूटी बटन मुझे थोड़ी लगानी आती है पर उस कोशिश में घायल उँगली बहोत सताती है बढ़ी दाढ़ी पर रोज टोकने यहाँ माँ थोड़ी आती है पता है माँ अब वो दाढ़ी भी खुजली से सताती है सलवट के शर्ट पर मुझे प्रेस करनी थोड़ी आती है पर उस चक्कर मे जली उँगली दर्द कर सताती है मैल से सनी पेंट ब्रश से मुझे थोड़ी धोनी आती है हाँ पर जमा मैल की लाइने मुझे बहोत सताती है पेट दर्द में मुझे अजवायन खिलाने थोड़ी आती है पर उस दर्द भरी रात में तेरी याद बहोत सताती है ज़मीन पे सोने पर अब तकिया देने थोड़ी आती है पर मेरी माँ नींद टूटने पर तेरी याद बहुत सताती है रात को लेट होने पर डाँटने यहाँ माँ थोड़ी आती है पर उस डाँट की कमी मूझे अब बहुत सताती है त्यौहार पर चूरमा खिलाने अब माँ थोड़ी आती है हाँ पर रोज़ मिलती रोटी भी मुझे बहोत सताती है मेरे नए कपड़ों की तारीफ करने माँ थोड़ी आती है पर तारीफ ना होने पर तेरी याद बहुत सताती है ©poetraja तुझसे जुदा होकर सुकून वाली नींद कहा आती है लेट होता हूं हर रोज तो तेरी याद बहुत सताती है खाना खाने बैठ जाऊ तो तेरी याद बहोत आती है तेरे हाथ वाली घी की रोटी मुझे बहोत सताती है माँ शर्ट की टूटी बटन मुझे थोड़ी लगानी आती है पर उस कोशिश में घायल उँगली बहोत सताती है बढ़ी दाढ़ी पर रोज टोकने यहाँ माँ थोड़ी आती है पता है माँ अब वो दाढ़ी भी खुजली से सताती है