रब दी महर लक्ष्य लेण लख लेख लिख दियो नीटे-नीटे काम को जोग मिल गयो थोड़ी-थोड़ी थापता थोक थप गयो करता-करता काम न घणो ऊब गयो चाल चलती चली चाल गयो मोहब्बत रो यो खस्यो रोग मिल गयो जान जाण जग-जान झोक दियो उठ बेटा लक्ष्य में भी ध्यान दे दियो प्यार-स्यार को सलाम कह दियो "रब दी महर" सु लक्ष्य मिल गयो | © मधुमित #madhumit #love #friend #motivation #nojoto