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*जय सियाराम* हमें शौक नही लकीर का फकीर बनने का

*जय सियाराम* 

हमें शौक नही लकीर का फकीर बनने का 
    अपनी तो आदत खुद का रास्ता बनाने की।
मानते हैं किसी को तो दिल से मानते हैं 
    अपनी फितरत नहीं झूठा प्यार जताने की।
हाथ की लकीर पर नहीं विश्वास कर्म पर है 
     गगन को छूना, मेहनत अपनी चरम पर है,
किसी धन्नासेठ के आगे झुके न सर अपना
     अपनी आदत राम के चरण सर झुकाने की।।

      स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari
  सुप्रभात मित्रों जय सियाराम  Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal)  santosh tiwari  Sudha Tripathi  deepshi bhadauria  Raushni Tripathi  भक्ति सागर