मन तू जोत सरूप हैं अपना मूल पछाण।। मन हर जी तेरै नाल है गुर मत्ती रंग मान।। अर्थ:- हे मन तू परम् प्रकाश का स्वरूप प्रकाश ही है तू इस शरीर में आ कर पवन द्वारा सुरों में मिल गया और खुद को शरीर समझने लगा तू अपना मूल जो के प्रकाश है वह पहचान।। हे मन वह परमात्मा रूपी प्रकाश तेरी नेत्रों रूपी खिड़की के साहमने हैं तो वह नाम धयाने का सन्तो खालसे से गुर यानी योगिक कला ले कर उस परमात्मा से मिलन-दर्शन की खुशियाँ यानी रंग मान।।🙏 ©Biikrmjet Sing #जोत