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वह पुरुष है, और उसका पौरुष दंभ उसे पुरुष नहीं बना

वह पुरुष है,

और उसका पौरुष दंभ उसे पुरुष नहीं बनाता।

बल्कि उसका पूरा जीवन अपनें परिवार की खुशियों के 
लिए जीते जाना उसे पुरुष बनता है।

पिता जी के ख्वाब पूरे करनें की जद्दोजेहद से लेकर उनकी 
हर जरूरत का ख्याल रखना।

माॅं का लाडला बेटा होने से लेकर उनके ज़िम्मेदार 
बेटे होनें तक का सफर।

पत्नी के लिए नई साड़ी तो वो ले आता है,
पर उसकी शर्ट कितनी पुरानी है,वह भूल जाता है।

बच्चों के खातिर उसके त्याग को क्या ही कहे,
मन ,तन दोनों थका भी हुआ हो,
तब भी वह ओवरटाइम करके आता है।



महिलाओं के त्याग की हमेशा प्रशंसा होती है,पर 
आज इस पेज के माध्यम से सभी जिम्मेदार 
और मेहनती पुरुषों को मेरा नमन...

©पूर्वार्थ
  #पुरुषत्व