मै खोजती फिरां, एक ऐसा जहां जहाँ मैं सिर्फ एक इंसा ना दुपट्टे की सुध, ना निगाहों का डर, ना पलकें झुके, ना कदम रुके मैं उड़ती फिरां, एक ऐसा आसमा जहाँ मैं सिर्फ एक इंसा मेरे हाथों में पैमाना हो, या मेरी आँखे खुद पैमाना हो थोड़ा मदहोशी पर हो हक मेरा मैं खोजती फिरां, एक ऐसा समां जहाँ दर्द कर सकूं बयां वो साथी हो या हो हमसफर, पहला प्यार हो या हो मेरा यार, सिर्फ एक हो या हो हजार मेरी रूह पर हो हक मेरा मैं खोजती फिरां, एक ऐसा जहां जहाँ मैं सिर्फ एक इंसा