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सोए वो भी नहीं, हम भी नहीं रात भी ये तमाशा देखती ह

सोए वो भी नहीं, हम भी नहीं
रात भी ये तमाशा देखती है ।
बात लफ़्ज़ों की है या दिल तलक जा पहुंची है
बैठकर बेतहाशा देखती है
रात भी ये तमाशा देखती है । #love
सोए वो भी नहीं, हम भी नहीं
रात भी ये तमाशा देखती है ।
बात लफ़्ज़ों की है या दिल तलक जा पहुंची है
बैठकर बेतहाशा देखती है
रात भी ये तमाशा देखती है । #love