आज उस ठहराव पर हैं हम, की बस तुम, हाँ तुम और सिर्फ तुम्हीं चाहिए। वो पहली बारिश,वो बदलता मौसम, और चूड़ियों की फिर से खनक चाहिये, सांझ पहर मध्यम सी बयार मे बस मेरे हाथो मे तेरा हाथ चाहिये, माना धूमिल सा यौवन पर सुन सजन मुझे हाँ तुम,बस तुम और सिर्फ तुम्हीं चाहिए। खैर सुनो तुम कुछ और........ यादें तुम्हारी अब नही चाहिये, वो स्मृतियाँ भी प्रेम की नहीं चाहिए, बहुत मस्त चल रही है ये बची जिन्दगी, इसके लिये सोनू अब तुम्हारी मेहरबानियाँ भी नहीं चाहिये। ©अभिषेक मिश्रा "अभि" शीर्षक-"प्रेम एवं जीवन" #holdmyhandtilltheend #holdmyhandforever #जीवन_चक्र #सोनू_की_कलम_से #अल्फाज़