बड़ा सिसका था शजर प्यार का मुरझाने से पहले। न उसकी आह सुनी और ना ज़ख्म देखे किसी ने। झड़े सब फूल, पात, पंछी उड़े, शाख छोड़कर। खड़ा अब माली मले हाथ ज़ोर कोई ना चले। #अंजलिउवाच #yqdidi #शजर #ज़ख्म #आह #मुरझाना #प्यार