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ख़ुद को ही देखता हूं, ख़ुद में ही निखरता हूं ख़ुद का

ख़ुद को ही देखता हूं, ख़ुद में ही निखरता हूं
ख़ुद का ही चरित्र हूं, ख़ुद में ही पवित्र हूं

छूटते नहीं ये निशान 
अक़्सर कर्मों से बंध जाया करते हैं
अग़र चरित्र भी हो महान
तो साथ साथ ये उनका साया बनते हैं
मिटा न सकोगे आख़िर तक
ये जंग रोधी जबाब नहीं हैं
ये है जीवन का आत्म समर्पण
या कहो कुछ ख़ास क्षण
जो हर दुआ में आया करते हैं शीर्षक: ख़ुद का ही चरित्र हूं ख़ुद में ही पवित्र हूं।

#sambhavjainpoetry
#महफूज़_जनाब
#चरित्र
#दुआ
#पवित्र
#nojotopoetry
ख़ुद को ही देखता हूं, ख़ुद में ही निखरता हूं
ख़ुद का ही चरित्र हूं, ख़ुद में ही पवित्र हूं

छूटते नहीं ये निशान 
अक़्सर कर्मों से बंध जाया करते हैं
अग़र चरित्र भी हो महान
तो साथ साथ ये उनका साया बनते हैं
मिटा न सकोगे आख़िर तक
ये जंग रोधी जबाब नहीं हैं
ये है जीवन का आत्म समर्पण
या कहो कुछ ख़ास क्षण
जो हर दुआ में आया करते हैं शीर्षक: ख़ुद का ही चरित्र हूं ख़ुद में ही पवित्र हूं।

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sambhavjain5903

Sambhav jain

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