जात-पात अभी भी मैं देखता हूँ , धर्म पे और वोट पे | लेकिन मैं नहीं देखता, बाजरों के सामान पे और न नोट पे || समय बदलने के बाद भी, रूढ़िवादी नहीं बदले | अस्पताल के अनुभव भी, इनकी सोच,जरा भी नहीं बदले || ©Atulsuryakant #व्यंग्य #thought #poem #Massage #true #True_line #Life_experience #Life #जात_पात #Twowords Priya Singh falak khan chisti DHILLUKHERI302