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शांति की चाह में, दबाते रहे मन का क्रोध..! उबाल मा

शांति की चाह में,
दबाते रहे मन का क्रोध..!
उबाल मारता था खून पर,
करते रहे ख़ुद का विरोध..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #chaand #shantikichah