तस्वीरें बोलती नहीं दिलों के राज खोलती नहीं मगर फिर भी तस्वीर न जाने कैसे दिलों में घर कर जाती है कल जो अपने थे आज वो किसी ओर के हो गये मगर फिर भी न जाने कैसे आखिर कैसे उनकी तस्वीर इस दिल में घर कर जाती है बदल जाता है इंसान वक्त के साथ कसमों वादों के इस निराले खेल में भूल जाता है वो एक बात बेहतर की तलाश में मिल जाये जब बेहतरीन तब याद ना रह पाता वो पुराना साथ सिमट कर रह जाती है यादें उनकी और पीछे छूट जाते हैं कुछ अहम सवाल इस "क्यूं" के जवाब को ढूंढ़ते ढूंढ़ते कईं सौ जिंदगियां हो जाती है हलाल उसकी तस्वीर को आज भी निहारता हूं शायद कोई मलाल ना रह जाये मन मेंं इसलिए खुल कर कोस लेता हूं खुद को दो पल की हंसी खुशी की खातिर यूंही हंस कर रोक लिया करता हूं खुद को जी नहीं भरता उन यादों से मगर आंखें जरुर भर आती है वक्त भी जैसे ठहर सा जाता तस्वीर जब उनकी दिल पे छाती है ©Gaurav Soni #phonecall