. गीत - संकेत एक एक संकेत तुम्हारा ज्यों का त्यों स्वीकार किया । तुमने बस खिलवाड़ किया था हमने सच्चा प्यार किया । अब तक जिया तुम्हारी खातिर जो संबंध अनोखा था । पर अब मुझको लगता है वह केवल कोरा धोखा था । माना मैं बेगाना हूं तुम पर है कुछ अधिकार नहीं ।। पर तुम मुझसे दूर रहो यह भी मुझ को स्वीकार नहीं ।। बस केवल चाहा है तुमको और कोई अपराध नहीं । तुमसे पहले नहीं रहा कुछ होगा तुमसे बाद नहीं । तुम सुरभित हो कली धरा की अम्बर की सुकुमारी हो । तुम मलिका मेरे दिल की हो तुम केवल जान हमारी हो । मेरे पास तुम्हें आने दे कैसा यह संसार नहीं ।। पर तुम मुझसे दूर रहो यह भी मुझ को स्वीकार नहीं ।। एक समर्पण बस काफी है अब जीने की चाह नहीं । तुमसे दूर चला जाऊंगा और शेष यदि राह नहीं । कीर्ति मान-सम्मान तुम्हारा मेरी लक्ष्मण रेखा है । तुमको हर पल जीता हूं तुमको ही हर पल देखा है । तुम्हें नहीं मैं कैसे कह दूं मुझको तुमसे प्यार नहीं ।। पर तुम मुझसे दूर रहो यह भी मुझ को स्वीकार नहीं ।। अमित शुक्ल चमेली #amit_shukla #poet