दुनिया भी अजब अनोखी अदभुत है गिरगिट से ज्यादा इंसान रंग बदलते हैं मिठास लोगों को भाती हैं पर मीठे से ज्यादा जहरीला कोई नहीं हैं तन पर ओढ़ रखी है श्वेत चादर मन फिर भी मैंला का मेला हैं मन में कुछ और चल रहा हैं लफ्जो से कुछ और बयां हो रहा हैं स्वार्थ के रिश्ते यहाँ हैं दोगले पन के शिकार सब यहाँ 🎀 Challenge-252 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 10 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।