बरसों से है चाह जिसकी वो चाहत मिली , देख के तुझको इस दिल को राहत मिली। चेहरा आफ़ताबी औ' अबसार शराबी मेरे , मेरी जाँ मुझे ये क़ुदरत की सबाहत मिली। तुझको पाना इतना आसान नही था जाँना , दर-दर की ठोकरे औ' बस कबाहत मिली। पल-पल हम यूँही घूँट- घूँट कर मर रहे थे , तुम मिले औ'मुझे जीने की वज़ाहत मिली। वीरान पड़ा था तेरे दिल का शहर ' आरू' , बादशाह मुझे औ' तुझे तेरी बादशाहत मिली। ©आराधना . . . . . . . #shabdshringaar #Writersofinstagram #igpoets #wordporn #writersofindia #micropoetry #aarukibaatein #meri_aapbeeti_ #aabhawrites #aaruswrites #saju #sajal #meriaapbeeti