मेरा ध्यान तू | दे उदासियाँ तेरी, छोड़ "चिंतन" | प्रेम मंथन | रब अमृत तू ही, "रब" जाने रे | प्रेम रूपी अमृत चखने से पहले, चखना पड़ेगा तुम्हें वासुकि का दंश भी और कालकूट विष भी...मेरा काम तुम्हारे प्रेम मंथन में रहना है, आगे तुम जानो और तुम्हारा काम... Thanks Fareeda ji... #modishtro #deepakkanoujia Fareeda Ji: