ख़ामोश से रहने वाले दरख़्त भी मुझसे सवाल कर बैठे, क्यों बैठे हो उदास किसी शाम की तरह, जैसे कोई हमराह, हमसफ़र छूट गयी, मैंने कहा, न हमराह छूटी है, न हमसफ़र नहीं पता मुझे, कौन सी ख़ता मुझसे हो गयी, जो उसे थोड़ी ख़फ़ा और खामोश कर गयी। न उसने ख़ामोशी तोड़ी, न उसने गुस्सा दिखाया, बिना एक लफ्ज़ कहे, मुझे सताती रही, कोशिश की लाख मैंने उसे मनाने की, पर शायद उसने कसम ली हो मुझसे न मुख़ातिब होने की, बस उसकी ख़ामोशी, अनकहे अल्फ़ाज़ मुझे रुलाती रही। गर हो गयी ख़ता मुझसे, मुझे माफ़ कर दो, हो कोई गिला शिक़वा गर, उसे साफ कर दो, नहीं चाहिए मुझे आपसे कुछ, बस अपनी दिल में जगह और जुबां पर मेरा नाम रख लो। #NojotoQuote sorry #sorry #love