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परमात्मा हृदय में ही विराजमान हैं,लेकिन अंहकार बर्

परमात्मा हृदय में ही विराजमान हैं,लेकिन अंहकार बर्फ की सतह आवरण बनकर खड़ा है,इस आवरण के भंग होते ही पता चलता हैं कि मैं और परमात्मा कभी दो न थे कभी अलग न थे।

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  ##परमात्मा हृदय में ही विराजमान हैं####

##परमात्मा हृदय में ही विराजमान हैं#### #विचार

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