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आह जिंदों में हूं मैं न मुर्दों में हूं क़फ़स में

आह जिंदों में हूं मैं न मुर्दों में हूं 
क़फ़स में हूं  जैसे  परिंदों में हूं 
घूरती हैं आती जाती हुई नजरें 
खौफ में हूं  रेत के घरौंदों में हूं

©Quseem Faruqui
  #udas

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