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माँ.. बहुत सी बात, न कह सकू, न सुन सकू तुमको, इतनी

माँ..
बहुत सी बात,
न कह सकू,
न सुन सकू तुमको,
इतनी सारी बातों
का ,मैं क्या करूँगी
रखकर जिनको,
रखती थी मैं,
बहुत संभालकर
तुमसे कहने को,
जिनको किसी को
कहे बिना बस,
तुमसे कहने को,
कपड़े , रंग
हर सवाल
हर चीज का
ख्याल , मेरी
गलतियां, मेरी
नादानियां ..सबकुछ
जो था सुनाने को,
अब भी है माँ,
मैं बोलती हूं
अब भी,
सुनने के लिए
कुछ जवाब ,
आ जाओ माँ
मुझे समझाने को
मुझे बताने को,
सबकुछ कितना
अधूरा है..
मेरी माँ...
तुमको बताने को।।

©Shivani Singh माँ..
बहुत सी बात,
न कह सकू,
न सुन सकू तुमको,
इतनी सारी बातों
का ,मैं क्या करूँगी
रखकर जिनको,
रखती थी मैं,
माँ..
बहुत सी बात,
न कह सकू,
न सुन सकू तुमको,
इतनी सारी बातों
का ,मैं क्या करूँगी
रखकर जिनको,
रखती थी मैं,
बहुत संभालकर
तुमसे कहने को,
जिनको किसी को
कहे बिना बस,
तुमसे कहने को,
कपड़े , रंग
हर सवाल
हर चीज का
ख्याल , मेरी
गलतियां, मेरी
नादानियां ..सबकुछ
जो था सुनाने को,
अब भी है माँ,
मैं बोलती हूं
अब भी,
सुनने के लिए
कुछ जवाब ,
आ जाओ माँ
मुझे समझाने को
मुझे बताने को,
सबकुछ कितना
अधूरा है..
मेरी माँ...
तुमको बताने को।।

©Shivani Singh माँ..
बहुत सी बात,
न कह सकू,
न सुन सकू तुमको,
इतनी सारी बातों
का ,मैं क्या करूँगी
रखकर जिनको,
रखती थी मैं,