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राहें-मोहब्बत असां नहीं, यहाँ काटें बिछी पड़ी है..

राहें-मोहब्बत असां नहीं,
यहाँ काटें बिछी पड़ी है..
जिन पलकों को सूकून ना था मुझ बिन,
आज शर्म से झुकी हुई हैं..

©Bhavesh Thakur राहें-मोहब्बत असां नहीं,
यहाँ काटें बिछी पड़ी है..
जिन पलकों को सूकून ना था मुझ बिन,
आज शर्मिंदगी से झुकी हुई हैं..
~भावेश ठाकुर 
#bhaveshthakur
#SeptemberCreator 
#Poetry
राहें-मोहब्बत असां नहीं,
यहाँ काटें बिछी पड़ी है..
जिन पलकों को सूकून ना था मुझ बिन,
आज शर्म से झुकी हुई हैं..

©Bhavesh Thakur राहें-मोहब्बत असां नहीं,
यहाँ काटें बिछी पड़ी है..
जिन पलकों को सूकून ना था मुझ बिन,
आज शर्मिंदगी से झुकी हुई हैं..
~भावेश ठाकुर 
#bhaveshthakur
#SeptemberCreator 
#Poetry