सुकून ना सांसों में ना आंखों में कोई दर्द है कि खड़ा हूँ मै थमा हूँ मै कि क्या कहूँ ये अर्ज है .. जुवां ये ढूँढती है शब्द न मिले तो क्या गर्ज है कि क्या करूँ मैं क्या लिखूं कि क्या कहूँ ये अर्ज है... कलम है हाथ मे लिखना तो जैसे फ़र्ज़ है आए विचार ना लिख सकूँ लगता सिहाई में खामोशियाँ सी दर्ज है .... कि क्या करूँ मैं क्या कहूँ कि क्या लिखूं ये अर्ज़ है मैं जो कहूँ वो अर्ज़ है मैं जो लिखूं वो अर्ज़ है जो भी लिखूँ वो अर्ज है...... ©विनय कुमार #अर्ज है