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कशिश किसी मरतबा इक मुलाकात की फकीरी रोज नयी नयी कर

कशिश किसी मरतबा इक मुलाकात की
फकीरी रोज नयी नयी करा गयी
आँखों मे तो आबाद रहीं थीं जन्नतें 
मगर मोहब्बत हमें गुरबत में पहुंचा गयी

©Aarjav Mishra
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