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साहित्यकार का कोई जाति धर्म नही होता, कोई राजीनीति

साहित्यकार का कोई जाति धर्म नही होता,
कोई राजीनीतिक दल का वर्ग नहीं होता है,
क्यूंकि साहित्यकार धरती से आसमान में,
हमेशा भ्रमण करता रहता है; हर पहलू को,
अपने दृष्टिकोण से शब्दों के द्वारा हृदय मार्ग से,
सादे पन्नों में सदृश्यता से अंकित करता है;
उन भावों को सजाता है जो महसूस किया हो,
उन स्वप्ननों को शब्दों के माध्यम से जीता है,
जो चाह कर भी कभी पूरे नही कर सका हो;
एक साहित्यकार होना भी कितना कठिन है,
जमघट में भी स्वयं को आंकता हुआ अलग है,
ना कोई लिंग भेद ना कोई अन्यथा बीजारोपण,
हर व्यथा को अपनी परिकल्पना बनाता है;
एक साहित्यकार होना कितना ही सरल है,
आसानी से जीवन की कल्पना कर अनिमित्त,
सहजगता से सुनना और मुस्कुराना पड़ता है,
सच! एक साहित्यकार पल में जाने कितने,
जीवन को स्वयं में समाहित कर लेता है।।

©नेह किताब📕 #Hindi #hindi_poetry #sahitya 
#OurRights
साहित्यकार का कोई जाति धर्म नही होता,
कोई राजीनीतिक दल का वर्ग नहीं होता है,
क्यूंकि साहित्यकार धरती से आसमान में,
हमेशा भ्रमण करता रहता है; हर पहलू को,
अपने दृष्टिकोण से शब्दों के द्वारा हृदय मार्ग से,
सादे पन्नों में सदृश्यता से अंकित करता है;
उन भावों को सजाता है जो महसूस किया हो,
उन स्वप्ननों को शब्दों के माध्यम से जीता है,
जो चाह कर भी कभी पूरे नही कर सका हो;
एक साहित्यकार होना भी कितना कठिन है,
जमघट में भी स्वयं को आंकता हुआ अलग है,
ना कोई लिंग भेद ना कोई अन्यथा बीजारोपण,
हर व्यथा को अपनी परिकल्पना बनाता है;
एक साहित्यकार होना कितना ही सरल है,
आसानी से जीवन की कल्पना कर अनिमित्त,
सहजगता से सुनना और मुस्कुराना पड़ता है,
सच! एक साहित्यकार पल में जाने कितने,
जीवन को स्वयं में समाहित कर लेता है।।

©नेह किताब📕 #Hindi #hindi_poetry #sahitya 
#OurRights
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Neha Yadav

New Creator