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वो जो सन्नाटे में भी खुशियाँ बिखेरता है, छु

वो   जो   सन्नाटे  में  भी  खुशियाँ बिखेरता है,
छुप  के  आँसू  उसे  कनखियों  से देखता है।

तोड़कर  के   खंडहर  तकलीफ़ों   के  बारहा, 
वह ग़मों  को इक  फूँक से  उड़ाना जानता है।

मस्तियाँ-शरारतें  मिज़ाज  में  शामिल है उसके,
सदाक़त की  खुशबू  से वो हर रोज़ महकता है।

काले साये तेरा वजूद ही नहीं है उसके मुकाबले,
तीरगी से गुज़रते घर की मुंडेर पर दीया रखता है।

टेढ़ी-मेढ़ी राहे ही  ज़िंदगी की बनाती हैं  उत्कर्ष,
चेहरे पर मुस्कान  रख हौले से  सब संभालता है। 
हाँ वही जो बार बार नाम बदलता है 
वही जो कुत्तों से बार-बार पिटता है

ख़यालों में बसी है उसके, उसी मधु से
वो लड़का बेइंतहा इश्क़ किया करता है।

दुकान प र ग्राहक  बढ़ाने के  लिए
वो   जो   सन्नाटे  में  भी  खुशियाँ बिखेरता है,
छुप  के  आँसू  उसे  कनखियों  से देखता है।

तोड़कर  के   खंडहर  तकलीफ़ों   के  बारहा, 
वह ग़मों  को इक  फूँक से  उड़ाना जानता है।

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सदाक़त की  खुशबू  से वो हर रोज़ महकता है।

काले साये तेरा वजूद ही नहीं है उसके मुकाबले,
तीरगी से गुज़रते घर की मुंडेर पर दीया रखता है।

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चेहरे पर मुस्कान  रख हौले से  सब संभालता है। 
हाँ वही जो बार बार नाम बदलता है 
वही जो कुत्तों से बार-बार पिटता है

ख़यालों में बसी है उसके, उसी मधु से
वो लड़का बेइंतहा इश्क़ किया करता है।

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