मुझे अब अपने ही लोग रुलाने पे तुले हुए हैं, ये वही सगे लोग हैं जो मुझे गिराने पे लगे हुए हैं । अब तो मुझे दुश्मनों की जरूरत ही नही लगती। जब मेरे खास ही मुझे रास्ते से हटाने पर लगे हुए है । मेरे बाप ही सालो से मेरी खुशियो के दुश्मन बने हुए है, उनके बहकावे मे भाई-बहन भी अनबन किए हुए है । तो क्या हुआ जो मेरा वक़्त खराब है, नसीब साथ नही, बस इतनी सी खता मेरी और सब रंजिश किए हुए है । कोशिशे हजार करता हूं उनमे शामिल हो जाने की मगर, वो सब लोग खुद से ही मुझे बेहद किनारे किए हुए है । जिन्दगी के डेढ दशक गुज़र गये है यूँही दर्दभरे,मेरे रब ! क्या बाकी जिन्दगी मे भी तूने ऐसे ही पल लिखे हुए है ? -सौरभ लखनवी #दर्द #Pain #Life #आपबीती #Self #inhumanity #अमानवीय #confused