इतनी सन्नाटे में क्यों घिरी है जिंदगी? क्यों सिले हुए, ये होंठ है; छिले - छाले से लदे जिस्म के बोटी-बोटी ना जाने किसने दी गहरी चोट है मर्म है कहाँ बस लोभ, लालच और खोट है आत्मा सुन्न हो गई अब तो इज्जत से ज्यादा रुपये और नोट है #nojoto_hindi #kuch_baatein#nojoto_poetry #January #हिन्दी_कविता