दो आलिमों के इल्म को हम तराजू पर तौल रहे थे कौन बडा़ कौन छोटा ये तो तय हो न सका लेकिन लोग हमें ही मूर्ख बोलकर आगे बढ़ गये आलिम-विद्वान बेदम शायर आयुष कुमार गौतम की कलम से आलिमों के इल्म को तराजू पर तौल रहे थे हम