नासमझी एक नासमझ सी बच्ची को समझदार बना दिया उसकी मासूमियत का सबने एक अच्छा प्रचार बना दिया दिल से जीने वाली को दिमाग का शतरंज भी सीखा दिया अपनों के भेंस में पीठ पर खंजर भी दिखा दिया कुछ पल में ही सबने उसे बच्ची से यू बड़ा बना दिया अब नज़रों का बाण उसकी आबरू पर गड़ा दिया रोते रोते रातो को जब उसकी आंखे सूज गई वो खुद को समेटकर अब अपनों से भी जूझ गई #nojoto #nasamjhi