वह हमका टुकटुक देखाये लागि अपनी अंखियन का मयांचे लागि मनु भा कि वाहिते बात करी ज्यों हम वहिके पास गयेन त्यों देखेंन वाहिका भाई बली जब लागे लाग कि अब मारि परी हम स्योचा अब घर का भागि चली.. हम पूछेंन कस हो का भाव दिहो वह कहिस पचास कै एकु किलो हम कहा सब्ज़िन मा आगि लगय बिन सब्ज़ी कउनो हर्ज़ नाहिंन घरि मा तो चाउर होइएबे करी हम स्योचा अब घर का भागि चली.. एक दिन निकरेन सहर तरफ हम सोचे पैदलु चलेक परी हम गाड़ी वाले क हाथ दिहेन रहा भला रोकिस लमरेयाटा बैठिते हमरे भरिस फर्राटा फिर रोकिस बाद कुछु दूर चलेक हम पूछा का भा का तेलु खतम उतरते हमरे धरिस तमाचा कहिस उतार सब चैन घड़ी लूटि गयेन भैया भरी दुपहरी हम स्योचा अब घर का भागि चली.. -✍️पीयूष रंजन बाजपेयी 'नमो' #हास्य #अवधी #prb