*बन जाऊं तुम्हारा हमदर्द मुझमें वो बात नहीं है। जो पोंछ दूं तुम्हारे आंसू मेरी औकात नहीं हैं।। जो मेरे लिए बरसो की मेहनत ,हां वो तुम्हारे लिए कुछ खास नहीं है। सच ही तो केह रहा हूं, मेरी कोई औकात नहीं हैं।। बड़ी दूर आ गया तेरी हुकूमत की रोशनी से । मेरे लिए तो अब ये रात सही है। नहीं सोचता मैं तेरे नाम के बारे में , मुझे तो अब तेरा चेहरा भी याद नहीं है।।* #kumarRavi #नहींrukunga # Soumya Jain