बस कुछ साल पहले की बात है मानो बस आज का ही दिन था जब हमारे साथ के खूबसूरत सफर की शुरुआत हुई थी कुछ जाने, कुछ अनजाने थे हम एक दूसरे से न रिश्तों का कोई नाम सब एक दूसरे से अनजान बस "समर स्कूल वाला ग्रुप" यही थी पहचान ना वक़्त लगा, ना मशक्कत कुछ अजनबी से दोस्त बनने मे वक़्त ने मिला दिए हो मानो कुछ बिछड़े हुए यार ऐसी गहरी दोस्ती का था वो आगाज़ हमारे साथ के सुनहरे लम्हों की मै क्या करु बात कविता कम पड़ जाएगी अगर देने बैठी हिसाब वक़्त ने करवट बदली और कुछ लोगों ने मुकाम बाँट दिया हमें एक में से पांच ज़िम्मेदारिओ ने फासलो को बढ़ा दिया ज़िंदगी की रफ़्तार ने रिश्तो को हरा दिया नाकाम रहा हर सितम ज़िंदगी का हम सब के दिल से न प्यार मिटा सका माना दूर है हम आज पर है तो हम एक ही बस "पागलखाना" बन गया है उस छोटे से ग्रुप का नाम इस कविता के अंत मे बस दुआ यही है आबाद रहे सब दोस्त, आज वो जहाँ कही है ~pari dosti ki dastan Hitarthi Gandhi