प्रिय Ex की ऐसी क्या कमी थी कि हम गैर हो गए और ऐसी क्या दुश्मनी थी कि पराए हो गए हमने तो बहुत शिद्दत से चाहा मगर आप के तेवर हमसे तार-तार हो हो गये की ऐसी क्या कमी थी कि हम गैर हो गए दिल आज भी धड़कता है लेकिन अब हिम्मत नहीं मुझमें कहने की पता नहीं कब टूट कर दो चार हो गए हो गए की ऐसी क्या कमी थी कि हम गैर हो गए तुम्हारी भरी भरी आंखों में आंसू नहीं सुहाते वह तुझसे ज्यादा मुझे रुलाते ज पर क्या करें रोज छिप के रो लेता हुँ एक दिन मौका मिला तो सामने ही बह गये की ऐसी क्या कमी थी कि हम गैर हो गए तेरी खुशी की खातिर मैं दूर हो जाऊंगा पर दिल से दूर ना करना वरना घुट घुट मर जाऊंगा तुझे प्यार ना हुआ मैं ये बात मानता हूं लेकिन बात नहीं करना है ये बात बिलकुल नहीं मानता हूं वही तो ऐसी क्या कमी थी कि हम गैर हो गए इतना भी क्या किये है कि हम पराये हो गये बस खूब खूब और खूब चाहे है हर वक्त तुमको जियें है यही सजा है यही होना भी चाहिए हम जैसो का लेकिन एक दिन तुम जरूर जागोगी ये मेरा दिल बोलता है तब तक देर बहुत हो जाओगी मैं ये मानता हूं पर चलो यही नियति अपनी है लेकिन ऐसी क्या कमी थी कि हम गैर हो गए प्यार नहीं बन सके तो क्या दोस्त सच्चा तो बन ही सकते है और तेरे दिल में रह सकते है लेकिन ऐसी क्या कमी थी कि हम गैर हो गए #X