आशा-निराशा की डोर जाने किसके हाथ में है ? जो कि अपनी मौज में खेल खेलने की तरह हिलाता है तुम्हें कभी मुझसे बहुत ही दूर कभी दिल के भीतर तक लाता है एक हकीकत बनी अफ़साने सी कौन जाने कि मै किस तरह की जिंदगी जीने का तरफदार हूँ !!! #shamaurtanhai #anam #365days365quotes #308