पास आ जा बचपन दो घड़ी के लिए फिर एक साथ बैठकर बातें करेंगे तू मेरी सुनना मैं तेरी सुनुगा एक दूसरे की आंखों में आंखे डालकर देखेंगे तू वही पुरानी बचपन की बातें सुनना मैं तुझे आज की उलझनों का हवाला दूंगा तू वही पुराने घर, रिश्ते और दोस्तो खेल कूद और बीते हुए लम्हों के कुछ दर्द कुछ खुशियां सुनाकर मेरे चेहरे पर मुस्कान खिलाना मैं तुझे आज मेरे नए घर, लोन और ईएमआई, रिश्तों की कड़वहाट, भागम भाग, रोज का रोना, सुनाकर तुझे सान कर दूंगा तू मुझे साथ बैठकर बचपन की उन गली कूचों के इर्दगिर्द घूमना जब हम थक जायेंगे मैं फिर तेरे साथ वापस फिर एक बार उस दौर में जीने की कोशिश करूंगा कुछ बदल सकते नही अब फिर भी थोड़े धीमे से, मैं तुझे और तू मुझे जीने की कोशिश करना कभी तेरे कंधे पर अपना सिर रखकर कभी तू मेरा हाथ पकड़कर उन बचपन के दिनों में जीने की कोशिश करेंगे भले ही हाथ की हथेलियां ऑस के पानी जैसे भीग जाए बस इतना फर्क होगा अब हमारे पास वो टाइम बदलने की हिम्मत नही है फिर मैं वैसे ही कुछ पल साथ में तू भी और मैं भी जी लेंगे थोड़ा हंस लेगे थोड़ा रोककर दिली गिले शिकवो को खत्म कर लेगे तू जिस कादर भी मिले..... ©Balli #बचपन #जिंदगी #life #पुरानी_यादें