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गाँधी - शास्त्री --------------- नमन है इन दो महा

गाँधी - शास्त्री 
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नमन है इन दो महान विभूतियों को जिनकी यादों का जश्न आज संपूर्ण राष्ट्र ही नहीं विश्व के ज्यादातर देश भी मना रहे हैं ।  अच्छे-अच्छे संवाद कार्यक्रम और यादगार लम्हों को संवारने का सिलसिला जारी है ,  परंतु क्यों .. क्यों हम इतना सम्मान कर रहे हैं इनका ... क्यों हम इतनी तन्मयता से पूज रहे हैं उन्हें ... इसे लोग या तो समझते  नहीं  या समझना ही नहीं चाहते ..।  हम उन महान व्यक्तियों को नहीं उनके व्यक्तित्व और व्यवहार को याद कर रहे हैं ... परंतु ..कौन....कौन है जो अनुसरण कर रहा है उन्हें ...  उन्हें बस अपनी पहचान बनाने के लिए खुद से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है ... ताकि लोग कहे कि उन्होंने गाँधी को इतना सम्मान दिया ..तो ... गाँधी उनकी पहचान बन जाएंगे ... गाँधी का महत्व हर व्यक्ति बस उस तरह देना चाहता है ...जैसे नोट पर छपे होने की वजह से नोट असली होता है  ... ।  शास्त्री जी की  सरलता ,  खुद्दारी और ईमानदारी का अनुसरण कौन करके घूम रहा है यहां ... चोला-टोपी तक की साम्यता सबको भाती है पर आत्मा में बसी रहती मक्कारी है  ... मतलब बाहरी और प्रतिरूप सबको बनना भाता है  परंतु ... आत्मा ना बदलने की विडंबना भारी है ।  गाँधी जी को तो सबसे अधिक फायदे की वस्तु समझ लोग भुनाने में लगे हैं ...।  
मैं यह नहीं कहता कि उनकी यादों में जश्न  ना  हो , उनकी प्रतिमाओं को फूल मालाएं पहना कर सम्मान ना किया जाए ... परंतु हमारी सच्ची श्रध्दा उनके विचारों , उनके व्यवहारों ,  उनकी ईमानदारी ,  उनकी कर्मठता सबसे बड़ी उनकी आत्मीयता का अनुसरण करना  होगा ... हम अपने जीवन जीने के तरीकों ,  क्रियाकलापों में उन्हें शामिल करें ... ताकि बिना दिखाने के प्रयत्न किए ही  वो हममें ... हम सभी में दिखे ... हममें उनका व्यक्तित्व परिलक्षित हो ... हम उनकी पहचान बनें ।  हर वर्ष हम उन्हें याद करते हैं श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हैं ... परंतु समाज में व्याप्त कुरीतियां .. असमानता .. छीना झपटी ... भ्रष्टाचार सब बस बढ़ता ही जा रहा है ... उन्हीं की तस्वीरे टंगी होती है दीवारों पर जिसके नीचे उन्ही  के विचारों सिद्धांतो और संस्कारों की हत्या की जाती है हर बार सरेआम  ... आखिर फिर क्या अर्थ रह जाता है ... उनकी तस्वीर टांगने की  ...अब तो यह हाल हो गया है उन महान विभूतियों की ..... जो ईमानदारी की पहचान रहे ..उन्हें ही बेईमानों ने अपनी चौकीदारी पर लगा लिया ... और फिर 2 october या विभिन्न संबन्धित तिथियों को उन्हीं की मूरत साफ कर फूल मालाएं चढ़ा अपने कर्तव्य की पूर्ति समझ लेते हैं ।  क्या इतना सा महत्व रह गया है गाँधी ,  शास्त्री या ऐसे असंख्य महान विभूतियों का हमारे लिए ? आज सभी अपने fb ,  whatsapp ,  insta के साथ ही अपने - अपने  प्रतिष्ठानों में गांधी को उनके कहे शब्दों को याद कर रहे हैं ... करना चाहिए ... परंतु हे महा-मानव यदि सच में तुम्हारे हृदय में उनके लिए सम्मान है तो उन्हें अपने आचरण में उतारने का प्रयत्न करो ।  
# जय कृष्ण कुमार 
9162439176 #गाँधी - शास्त्री
गाँधी - शास्त्री 
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नमन है इन दो महान विभूतियों को जिनकी यादों का जश्न आज संपूर्ण राष्ट्र ही नहीं विश्व के ज्यादातर देश भी मना रहे हैं ।  अच्छे-अच्छे संवाद कार्यक्रम और यादगार लम्हों को संवारने का सिलसिला जारी है ,  परंतु क्यों .. क्यों हम इतना सम्मान कर रहे हैं इनका ... क्यों हम इतनी तन्मयता से पूज रहे हैं उन्हें ... इसे लोग या तो समझते  नहीं  या समझना ही नहीं चाहते ..।  हम उन महान व्यक्तियों को नहीं उनके व्यक्तित्व और व्यवहार को याद कर रहे हैं ... परंतु ..कौन....कौन है जो अनुसरण कर रहा है उन्हें ...  उन्हें बस अपनी पहचान बनाने के लिए खुद से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है ... ताकि लोग कहे कि उन्होंने गाँधी को इतना सम्मान दिया ..तो ... गाँधी उनकी पहचान बन जाएंगे ... गाँधी का महत्व हर व्यक्ति बस उस तरह देना चाहता है ...जैसे नोट पर छपे होने की वजह से नोट असली होता है  ... ।  शास्त्री जी की  सरलता ,  खुद्दारी और ईमानदारी का अनुसरण कौन करके घूम रहा है यहां ... चोला-टोपी तक की साम्यता सबको भाती है पर आत्मा में बसी रहती मक्कारी है  ... मतलब बाहरी और प्रतिरूप सबको बनना भाता है  परंतु ... आत्मा ना बदलने की विडंबना भारी है ।  गाँधी जी को तो सबसे अधिक फायदे की वस्तु समझ लोग भुनाने में लगे हैं ...।  
मैं यह नहीं कहता कि उनकी यादों में जश्न  ना  हो , उनकी प्रतिमाओं को फूल मालाएं पहना कर सम्मान ना किया जाए ... परंतु हमारी सच्ची श्रध्दा उनके विचारों , उनके व्यवहारों ,  उनकी ईमानदारी ,  उनकी कर्मठता सबसे बड़ी उनकी आत्मीयता का अनुसरण करना  होगा ... हम अपने जीवन जीने के तरीकों ,  क्रियाकलापों में उन्हें शामिल करें ... ताकि बिना दिखाने के प्रयत्न किए ही  वो हममें ... हम सभी में दिखे ... हममें उनका व्यक्तित्व परिलक्षित हो ... हम उनकी पहचान बनें ।  हर वर्ष हम उन्हें याद करते हैं श्रद्धा पुष्प अर्पित करते हैं ... परंतु समाज में व्याप्त कुरीतियां .. असमानता .. छीना झपटी ... भ्रष्टाचार सब बस बढ़ता ही जा रहा है ... उन्हीं की तस्वीरे टंगी होती है दीवारों पर जिसके नीचे उन्ही  के विचारों सिद्धांतो और संस्कारों की हत्या की जाती है हर बार सरेआम  ... आखिर फिर क्या अर्थ रह जाता है ... उनकी तस्वीर टांगने की  ...अब तो यह हाल हो गया है उन महान विभूतियों की ..... जो ईमानदारी की पहचान रहे ..उन्हें ही बेईमानों ने अपनी चौकीदारी पर लगा लिया ... और फिर 2 october या विभिन्न संबन्धित तिथियों को उन्हीं की मूरत साफ कर फूल मालाएं चढ़ा अपने कर्तव्य की पूर्ति समझ लेते हैं ।  क्या इतना सा महत्व रह गया है गाँधी ,  शास्त्री या ऐसे असंख्य महान विभूतियों का हमारे लिए ? आज सभी अपने fb ,  whatsapp ,  insta के साथ ही अपने - अपने  प्रतिष्ठानों में गांधी को उनके कहे शब्दों को याद कर रहे हैं ... करना चाहिए ... परंतु हे महा-मानव यदि सच में तुम्हारे हृदय में उनके लिए सम्मान है तो उन्हें अपने आचरण में उतारने का प्रयत्न करो ।  
# जय कृष्ण कुमार 
9162439176 #गाँधी - शास्त्री