अंधेरे ने पैर क्या पसारे यादें निकल आई बाहर चमकने लगी आकाश में सितारों की तरह आकाश केअनोखे जंगल में, जहाँ चांद चांदनी बरसाता है, एक आग छूती है रात के हर पहर में स्मृतियों का दंश लिए।।— % & #yqरात #yqस्मृतियां #yqkulbhushandeep