Nojoto: Largest Storytelling Platform

अनगिनत वर्ष गुज़ार लेने के बावजूद अब तक कोई खास उप

अनगिनत वर्ष गुज़ार लेने के बावजूद अब तक कोई खास उपलब्धि हासिल नही हुई है तीसरी से अब एमएससी में आ चुके है उपलब्धि के नाम पर बस अबतक खुद को भईया कहलवाने से बचाता आया हूं, जानकारियां काफी बढ़ चुकी थी स्नेह भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है लेकिन मन अब भी पाक साफ है ।
परिवार वाले भी अब मुझे सीरियस लेने लगे है शायद उन्हें मेरे या इस उम्र के लक्षणों के विषय में अनुमान होने लगा है तो इस विषय में मजाक में ही सही बातचीत करने लगे है तो इशारो में पता चला कि सिर्फ पसन्द करना प्रेम करना स्नेह करना काफी नही जाति का मिलना , घर परिवार क्या करता है तुम क्या करते हो तुम्हारी उम्र क्या है वगेरह वगेरह मेन होता है।
खैर उम्र के साथ आपके नैतिक मूल्यों पर आपके अनुभव, सामाजिक और पारिवारिक दबाव हावी हो जाते है, और आपकी सोच बदल जाती है, वो उम्र अलग थी मासूमियत वाली जहां ईमानदारी से एक आकर्षण शुरू हुआ और एक अरसे तक बरकरार रहा, अब इतना समय नही है भावात्मक की जगह नही जहां प्रयत्न के पहले निष्कर्ष की पॉसिबिलिटी नापी जाती है दिमाग में फिल्टर लग गए है, नौकरी हो तो कैसी हो लड़की हो तो कैसी हो , ओवरआल अब इश्क या आकर्षण जो भी मान लो मन में फिल्टर को पास करने के बाद अगर पास हुई तो प्यार का क्या है कर ही लेंगे।

अनगिनत वर्ष गुज़ार लेने के बावजूद अब तक कोई खास उपलब्धि हासिल नही हुई है तीसरी से अब एमएससी में आ चुके है उपलब्धि के नाम पर बस अबतक खुद को भईया कहलवाने से बचाता आया हूं, जानकारियां काफी बढ़ चुकी थी स्नेह भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है लेकिन मन अब भी पाक साफ है । परिवार वाले भी अब मुझे सीरियस लेने लगे है शायद उन्हें मेरे या इस उम्र के लक्षणों के विषय में अनुमान होने लगा है तो इस विषय में मजाक में ही सही बातचीत करने लगे है तो इशारो में पता चला कि सिर्फ पसन्द करना प्रेम करना स्नेह करना काफी नही जाति का मिलना , घर परिवार क्या करता है तुम क्या करते हो तुम्हारी उम्र क्या है वगेरह वगेरह मेन होता है। खैर उम्र के साथ आपके नैतिक मूल्यों पर आपके अनुभव, सामाजिक और पारिवारिक दबाव हावी हो जाते है, और आपकी सोच बदल जाती है, वो उम्र अलग थी मासूमियत वाली जहां ईमानदारी से एक आकर्षण शुरू हुआ और एक अरसे तक बरकरार रहा, अब इतना समय नही है भावात्मक की जगह नही जहां प्रयत्न के पहले निष्कर्ष की पॉसिबिलिटी नापी जाती है दिमाग में फिल्टर लग गए है, नौकरी हो तो कैसी हो लड़की हो तो कैसी हो , ओवरआल अब इश्क या आकर्षण जो भी मान लो मन में फिल्टर को पास करने के बाद अगर पास हुई तो प्यार का क्या है कर ही लेंगे।

Views