काग़ज़ काग़ज़ हर्फ़ सजाया करता है, तन्हाई में शहर बसाया करता है, कैसा पागल शख्स है सारी-सारी रात, दीवारों को दर्द सुनाया करता है, रो देता है आप ही अपनी बातों पर, और फिर खुद को आप हंसाया करता है। #काग़ज़ काग़ज़ #हर्फ़ #सजाया करता है, #तन्हाई में शहर #बसाया करता है, #JAINESH_KUMAR #poetry #yqquotes