न जाने कितने क्षणों से गढ़ी हैं मैंने अविस्मृत स्मृतियाँ तुम्हारे साथ ! स्मृतियाँ जिनके रहे अपने ही असंख्य इंद्रधनुष। सात रंगों की बाध्यता से पूर्णतः मुक्त। तुम्हारे साथ! प्रत्येक स्मृति का रहा अपना एक अलग ही दिवस अवसान रहित। तुम्हारे साथ ! अभी जीने हैं अनगिनत क्षण। गढ़नी हैं और अनगढ़ स्मृतियाँ। तुम्हारे साथ ! --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #अनगढ़.. न जाने कितने क्षणों से गढ़ी हैं मैंने अविस्मृत स्मृतियाँ तुम्हारे साथ !