•| ग़ज़ल |• दिल से मेरा सलाम (कविता अनुशीर्षक में) "यह ग़ज़ल उन सभी को समर्पित है जो खुद से ऊपर देश को मानते है।" जिस धरती पर हम जन्में हैं उसकी रक्षा खातिर लाखों वीर तैनात है आज स्वंतत्रता दिवस पर फिर से, उन सभी को दिल से मेरा सलाम है। जो हर मौसम सीमा पर डटे हुए या तेज़ बारिश में उड़ान है भर रहे जो तूफ़ान में भी जहाज़ पर अडिग रहे, उन जवानों को दिल से मेरा सलाम है।